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क्या हुआ थक गए ज़िन्दगी से बोझ लगने लगी life बचपन मे बड़े बड़े सप | 𝐒𝐀𝐓𝐘𝐀 𝐓𝐈𝐆𝐄𝐑

क्या हुआ थक गए ज़िन्दगी से बोझ लगने लगी life बचपन मे बड़े बड़े सपने देखे थे ये बनूँगा वो बनूँगा पैसा सोहरत रुतबा सब हासिल करूँगा कुछ लोगो ने हासिल भी किया पर आखिर में जुआ की लत लगी और सब बर्बाद।
याद है क्या? आखिरी बार कब खुश हुए थे कब घर वालो से अच्छे से बात किये थे ।
कुछ भी अच्छा नही हुआ ना इतनी उम्र में सबको देख लिया कोई साथ नही खड़ा ना दोस्त relative सब मतलब के यार निकले और जिसने अब तक नही आजमाया try कर लो एक बार।
याद है जब तुम्हारे पास पैसा था सब कुछ कितना सही था पैसा नही था तब भी खुश तो थे। आज रोज के 2k 5k plus होने के बाद भी उसकी वैल्यू नही रही।
यार जुआरी से बड़ा जिगर किसी का नही होता वो रोज हारता है टूटता है रोता है पर अपनी उम्मीद नही छोड़ता हार नही मानता कभी,उसे लगता है एक दिन वो सब कुछ ठीक कर देगा यही हौसला रखो ना फिर कायर क्यों बन रहे इस तरह आधे रास्ते पर अपने सपने छोड़ कर जाना सही है क्या, कभी कभी इंसान का बेइज्जत होना भी ज़रूरी है जब दिल पर कुछ बात लगती है ना तभी कुछ कर गुजरने का जज्बा आएगा confidence आएगा तम्हारे अंदर ।जिस दिन pesence आ गया ना फिर कोई मुकाबला ही नही कर सकता।
जुवारी में एक अच्छी बात है वो कभी दूसरे से जलता नही ना ही किसी का बुरा करता है, ना ही कोई comparison है उसे अपनी life से फुरसत ही नही उसे मरम्मत में लगे रहो।

इतना आसान नही है मर जाना बहुत हिम्मत चाहिए और ऐसा करने से बस तुम्हे शांति मिलेगी बाकी हाल वही रहेगा कर्ज़ वाले जो तुम्हे call करते थे वो अब तुम्हारे घर पर करेंगे बस इतना ही change होना है किसी को कोई फर्क नही पड़ता आप रहो ना रहो।

मंज़िल तो मिल ही जाएगी एक दिन गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नही।

सत्या की कलम से